मंगलवार, 20 सितंबर 2016

ओषधिय पौधा 'भृंगराज' ।

भृंगराज का पौधा आस्टेरेसी कुल का पौधा है ।इसका वनस्पति नाम ' इक्लीप्टा प्रोस्टराटा है ।इस पौधे को घमरा भी कहा जाता है । यह पौधा पूरी दुनिया मे नम स्थान बाली जमीन पर पाया जाता है । भारत मे यह पौधा बारिश के दिनो मे बहूतायत  उगता है । खेतों की फसलो मे भी यह खरपत्वार के साथ देखा जाता है ।
भृंगराज का ओषधिय  उपयोग ' आयुर्वेद मे इसके तेल को बालो के रोगो के लिए सबसे गुणकारी ओषधी माना गया है ।  भृंगराज बालो की हर समस्या का समाधान है । इसके ताजे पौधों को पीसकर  उनका पेस्ट बनाकर बालो पर कुछ दिन लेप करने से बालो मे होने बाले रोगो से निजात पाई जा सकती है । और बाल हमेशा काले घने रहते है । भृंगराज बालो को असमय सफेत होने से भी रोकता है । 
एलोपेसिया' गंजापन का सफल  इलाज है भृगराज  । भृंगराज के सूखे पत्तो को नारियल के तेल मे डाल कर  उसे दो सप्ताह तक रखने के बाद पत्तो को तेल से निकाल कर  अलग करने के बाद यह तेल सिर पर सुवह शाम लगाने से  सिर पर बाल  उग जाते है । युवाओ पर तो इस तेत का चमत्कारी असर होता है ।क्योंकि इस  आयु मे खून का संचालन मस्तिक तक तेज रहता है ।इसलिए कुदरती बाल भी तेजी से बढते है 'और  उपर से  यह तेल बालो मे लगाने से बाल काले घने और लंबे होते है ।

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