शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

तिल की खेती ।

अन उपयोगी जमीन पर कुछ भी पैदा करना कठिन हैता है । एसी कंकड ' पत्थर वाली रितीली जमीनों पर तिल की खेती एक  अच्छा विकल्प है । काली तिल्ली जो एक तिलहन फसल है ।और यह बरसाती फसल है ।तिल की खेती मे लागत बहुत ही कम  आती है । क्योंकि तिल के बीज का आकर छोट होने के कारण एक  एकड खेत मे बोने के लिए लगभग 2kg बीज परर्याप्त होते है । तिल के बीज बोने का तरीका भी सरल है । तिल को हाथ से छिडकाव करके बोया जाता है ।
पहली बारिश के बाद जुलाई के पहले सप्ताह मे तिल की बोनी होती है । एवं सितंवर के महिने मे तिल की फसल पक कर तैयार हो जाती है । अन्य फसलों की तुलना मे तिल का भाव जादा होने से कृषक को अच्छा मुनाफा मिलता है ।
तिल का उपयोग _ सफेद तिल्ली के मुकाबले काला तिल मेहगा बिकता है ।इसका कारण यह है कि इसकी खेती कम पेमाने पर होती है ।और तिल का सबसे अधिक उपयोग हवन सामंग्री मे होता है 'इसलिए तिल की मॉग  अधिक होती है ।
आज के समय मे भारत मे इतनी अधिक  मात्रा मे यज्ञ हवन होते है जितने सायद ऋषि मुनियों के जमाने मे सत युग मे भी नही होते होगे ' और होना भी चाहिए हवन से वायू शुद्ध होती है ।पर हवन सामंग्री असली प्राकृतिक होना चाहिए ' न कि कृत्रिम एसेंसो से बनी हवन सामग्री इससे तो और प्रदूषण फैलता है और नकली हवन सामंग्री से हवन करने वाले को पुन्य की जगह  उलटा पाप लगता है ।खेर बात तिल की खेती की हो रही है । तो कुल मिलाकर तिल की खेती कम लागत मे अधिक मुनाफा देने वाली खेती है ।यदि यकीन ना हो तो कृषक भाई तिल की खेती एक बार कर के देखे ।
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