गुरुवार, 15 सितंबर 2016

ओषधिय पौधे बोलते है ।

प्रथ्बी पर कुदरत ने कुछ भी व्यर्थ पैदा नहीं किया है । जमीन पर पैदा होने बाले विशाल पेंडो से लेकर छोटे छोटे पौधे और घास ' खरपत्वार  आदि सभी मे कोई न कोई औषधीय गुण जरूर होता है । जिस स्थान पर किसी मनुष्य  अथवा जनवर को कोई रोग होता है ' उसी स्थान के आसपास उस रोग की औषधि का पेड पौधा भी होता है । वस जरूरत है उस  औषधि को पहचाने की ।
आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है ।जिसका उल्लेख पुराने ग्रंथो मे मिलता है ।रामायण के एक प्रसंग मे जव युद्ध के दोरान लक्ष्मण अचेत हो गए ' तव  उनका उपचार करने आए सुखेन बैध ने हनुमान को हिमाचल पर संजीवनी बूटी लेने के लिए भेजा और बैध ने हनुमान को उस बुटी की पहचान यह बताई की संजीवनी बूटी अंधेरे मे भी चमकती है ।पर हिमालय पर पहुचकर हनुमान उस बूटी को नही पहचान पाए क्योंकि बहॉ सभी पोधे चमक रहे थे और हनुमान पूरा पहाड़ ही उठा लाए । { इस संजीवनी बूटी को बर्तमान मे आचार्यबालकृष्ण ने हिमालय पर पुनः खोज लिया है }
यह तो हम जानते है की पेड पौधे सजीव होते है पर हमने कभी पौधों को बात करते नही सुन पर पेड पौधे बोलते भी है ।पुराने समय मे एक बहुत बडे बैध हुए ' लुक्मान ' लुक्मान कहते थे की मुझसे पौधे बात करते है ' और पौधे मुझे बताते है की वे किस रोग की दबा है ।
आइए अब हम नारियल पर लिखी कुदरत की संकेतिक भाषा को समझे _ नारियल देखने मे बिल्कुल आदमी के सिर जैसा है उसमे अॉख ' मुह 'नाक ' बाल ' खोपड़ी ' सब है यही है कुदरत की संकेत भाषा जो यह  इशारा करती है की नारियल सिर के लिए गुणकारी है ।इसी संकेत को समझकर हमारे बुजुर्गो ने सिर के बालो मे नारियल का तेल लगाने का चलन शुरू किया था वरना सिर के बालो मे तेल लगाने की क्या जरूरत थी ।
दुशरा उदाहरण _ एक जगली बीज होता है जिसमे जहर नाशक ताकत होती है ' यह बीज बिच्छू आदि जहरीले जीव जंतू के काटने पर  उपचार के काम  आता है ।इस बीज को गौर से देखने पर  इस पर लिखी कुदरत की भाषा समझ मे आती है ' इस बीज पर कुछ  एसे निशान होते है जैसे की जहरीले जीवो के शरीर पर होते है ।जिनसे यह ज्ञात होता है की यह बीज जहरीले जीवो से सबंधित है ।
कुछ पौधों के नाम से ही उनकी उपयोगिता और  उनके गुणो का पता चलता है ।क्योकि किसी भी पेड पौधे का नाम  उसके गुणो के आधार पर ही रखा जाता है ।
उदाहरण के लिए जैसे _ गुडमार ' इस नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि यह पौधा गुड को खत्म करता है ।और वास्तव मे इस पौधे के पत्ते चबाने के बाद गुड या शक्कर खाने पर मीठी नही लगती ' और यह पौधा शुगर के रोगी के लिए अचूक दबा है ।
पालक _ पालक जिसकी भाजी बनाई जाती है ।इसके नाम से ही यह पता चलता है की यह पालने बाला पौधा है ।और है भी पालक मे बडी मात्रा मे आयरन होता है ' इसे खाने के बाद दॉत खुरदुरे से हो जाते है ।
सीताफल_ इस नाम के पहले भाग मे शीत शब्द है जो यह कह रहा है की यह फल  ठडा है ।


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