मंगलवार, 20 सितंबर 2016

ओषधिय पौधा 'भृंगराज' ।

भृंगराज का पौधा आस्टेरेसी कुल का पौधा है ।इसका वनस्पति नाम ' इक्लीप्टा प्रोस्टराटा है ।इस पौधे को घमरा भी कहा जाता है । यह पौधा पूरी दुनिया मे नम स्थान बाली जमीन पर पाया जाता है । भारत मे यह पौधा बारिश के दिनो मे बहूतायत  उगता है । खेतों की फसलो मे भी यह खरपत्वार के साथ देखा जाता है ।
भृंगराज का ओषधिय  उपयोग ' आयुर्वेद मे इसके तेल को बालो के रोगो के लिए सबसे गुणकारी ओषधी माना गया है ।  भृंगराज बालो की हर समस्या का समाधान है । इसके ताजे पौधों को पीसकर  उनका पेस्ट बनाकर बालो पर कुछ दिन लेप करने से बालो मे होने बाले रोगो से निजात पाई जा सकती है । और बाल हमेशा काले घने रहते है । भृंगराज बालो को असमय सफेत होने से भी रोकता है । 
एलोपेसिया' गंजापन का सफल  इलाज है भृगराज  । भृंगराज के सूखे पत्तो को नारियल के तेल मे डाल कर  उसे दो सप्ताह तक रखने के बाद पत्तो को तेल से निकाल कर  अलग करने के बाद यह तेल सिर पर सुवह शाम लगाने से  सिर पर बाल  उग जाते है । युवाओ पर तो इस तेत का चमत्कारी असर होता है ।क्योंकि इस  आयु मे खून का संचालन मस्तिक तक तेज रहता है ।इसलिए कुदरती बाल भी तेजी से बढते है 'और  उपर से  यह तेल बालो मे लगाने से बाल काले घने और लंबे होते है ।

रविवार, 18 सितंबर 2016

कृषि सूचना प्रशार के साधन ।

आज सूचना क्रांती के युग मे जहाँ हर तरह की जानकारियॉ सहज ही सुलभ है ।एसे मे किसानी से संवंधित सूचनाओ की भी बाढ  आ रही है । भारत सरकार देश मे कृषि को बढावा देने के लिए ' बहुत प्रयासरत है । किसानो के हित मे सरकार नई नई योजनाए बना रही है ।जिनकी  सूचना किसानो को घर बैठे मुफ्त मे उपलब्ध कराई जा रही है । जिससे किसान जागरूक बनें और कृषि का विकास हो ' लेकिन फिर भी किसान बहुत धीमी गती से कृषि मे विकास कर रहे है । इसमे सरकार का दोष बिलकुल नही है । कही ना कही किसान की ही कमी है । जो इतनी सुविधाओ के होते हुए भी पीछे रह रहा है । आज किसानो के लिए इतनी सुविधाए है ' जो पहले कभी भी नही थी ।
कृषि सूचना के निम्न प्रशार माध्यम "
 किसान कॉल सेंटर _ यह सेवा भारत सरकार के कृषि मत्रालय की मुफ्त कॉल सेवा है किसानों के लिए । जिसका टोल फ्री नंबर -18001801551 है । इस नं पर बात करने का का कोई पैसा नही लगता है ।यहॉ से किसान भाई अपनी कृषि संबंधित समस्या का हल कृषि विशेषज्ञो से ले सकते है ।एवं इस कॉल सेंटर मे किसान  अपने मोवाइल नंबर का रजिस्टेशन कराकर ' अपने मोबाइल पर मोषम संबंधित जानकारी के संदेश  और किसानी से जुडी नई नई जानकारीओ के संदेस पा सकते है ' और भी बहुत कुछ जानकारी ।
कृषि बिज्ञान केंद्र _ यह केंद्र रह जिला स्तर पर स्थापित है । जहॉ कृषि बेज्ञानिक मोजूद है जो किसानो को हर तरह की कृषि सलाह देते है । और किसानो के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमो का आयोजन भी करते है । 
किसान सुबिधा एप _ यह भारत सरकार का ऊप है । जिस पर किसान  अपने नजदीक की गल्ला मडी से लेकर पूरे देश मे किसी भी गल्ला मंडी के ताजे अनाज भाव की जानकारी ले सकता है । और जिस मंडी मे उसके अनाज का भाव जादा मिलेगा वहॉ अपना माल बेच सकता है ।
दूरर्दशन किसान _ डी डी किसान चैनल ' जो संचार भारती की फ्री डिस सेवा पर  उपलब्ध है ।इस चैनल पर कृषि समाचार ' मंडी भाव के अलावा किसानो के हित मे बिभिन्न कृषि संबंधित कार्थक्रम प्रशारित किये जाते है । जिसका लाभ किसान  अपने घर पन बैठकर मुफ्त मे पा सकता है ।
कृषि पत्र 'पत्रिकाए _ कृषि विषय पर  आधारित बहुत पत्र पत्रिकाए ' हिंदी भाषा मे प्रकाशित होते है ।जिनमें किसानी की बहुत ज्ञानर्वधक सामंग्री छपती है । किसान  इनहे पढकर भी लाभ ले सकते है ।
इंटरनेट _ इंटरनेट पर तो कृषि संबंधी जानकारियो का भंडार है । कृषि संबंधित हजारों वेबसाइट हिंदी भाषा मे नेट पर मोजूद है ।जिन पर हर प्रकार की जानकारी किसानों के लिए उपलब्ध है ।
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गुरुवार, 15 सितंबर 2016

ओषधिय पौधे बोलते है ।

प्रथ्बी पर कुदरत ने कुछ भी व्यर्थ पैदा नहीं किया है । जमीन पर पैदा होने बाले विशाल पेंडो से लेकर छोटे छोटे पौधे और घास ' खरपत्वार  आदि सभी मे कोई न कोई औषधीय गुण जरूर होता है । जिस स्थान पर किसी मनुष्य  अथवा जनवर को कोई रोग होता है ' उसी स्थान के आसपास उस रोग की औषधि का पेड पौधा भी होता है । वस जरूरत है उस  औषधि को पहचाने की ।
आयुर्वेद भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति है ।जिसका उल्लेख पुराने ग्रंथो मे मिलता है ।रामायण के एक प्रसंग मे जव युद्ध के दोरान लक्ष्मण अचेत हो गए ' तव  उनका उपचार करने आए सुखेन बैध ने हनुमान को हिमाचल पर संजीवनी बूटी लेने के लिए भेजा और बैध ने हनुमान को उस बुटी की पहचान यह बताई की संजीवनी बूटी अंधेरे मे भी चमकती है ।पर हिमालय पर पहुचकर हनुमान उस बूटी को नही पहचान पाए क्योंकि बहॉ सभी पोधे चमक रहे थे और हनुमान पूरा पहाड़ ही उठा लाए । { इस संजीवनी बूटी को बर्तमान मे आचार्यबालकृष्ण ने हिमालय पर पुनः खोज लिया है }
यह तो हम जानते है की पेड पौधे सजीव होते है पर हमने कभी पौधों को बात करते नही सुन पर पेड पौधे बोलते भी है ।पुराने समय मे एक बहुत बडे बैध हुए ' लुक्मान ' लुक्मान कहते थे की मुझसे पौधे बात करते है ' और पौधे मुझे बताते है की वे किस रोग की दबा है ।
आइए अब हम नारियल पर लिखी कुदरत की संकेतिक भाषा को समझे _ नारियल देखने मे बिल्कुल आदमी के सिर जैसा है उसमे अॉख ' मुह 'नाक ' बाल ' खोपड़ी ' सब है यही है कुदरत की संकेत भाषा जो यह  इशारा करती है की नारियल सिर के लिए गुणकारी है ।इसी संकेत को समझकर हमारे बुजुर्गो ने सिर के बालो मे नारियल का तेल लगाने का चलन शुरू किया था वरना सिर के बालो मे तेल लगाने की क्या जरूरत थी ।
दुशरा उदाहरण _ एक जगली बीज होता है जिसमे जहर नाशक ताकत होती है ' यह बीज बिच्छू आदि जहरीले जीव जंतू के काटने पर  उपचार के काम  आता है ।इस बीज को गौर से देखने पर  इस पर लिखी कुदरत की भाषा समझ मे आती है ' इस बीज पर कुछ  एसे निशान होते है जैसे की जहरीले जीवो के शरीर पर होते है ।जिनसे यह ज्ञात होता है की यह बीज जहरीले जीवो से सबंधित है ।
कुछ पौधों के नाम से ही उनकी उपयोगिता और  उनके गुणो का पता चलता है ।क्योकि किसी भी पेड पौधे का नाम  उसके गुणो के आधार पर ही रखा जाता है ।
उदाहरण के लिए जैसे _ गुडमार ' इस नाम से ही यह स्पष्ट होता है कि यह पौधा गुड को खत्म करता है ।और वास्तव मे इस पौधे के पत्ते चबाने के बाद गुड या शक्कर खाने पर मीठी नही लगती ' और यह पौधा शुगर के रोगी के लिए अचूक दबा है ।
पालक _ पालक जिसकी भाजी बनाई जाती है ।इसके नाम से ही यह पता चलता है की यह पालने बाला पौधा है ।और है भी पालक मे बडी मात्रा मे आयरन होता है ' इसे खाने के बाद दॉत खुरदुरे से हो जाते है ।
सीताफल_ इस नाम के पहले भाग मे शीत शब्द है जो यह कह रहा है की यह फल  ठडा है ।


मंगलवार, 13 सितंबर 2016

तुलसी का एसेंस बनाना ।

तुलसी के पौधे का वनस्पति नाम  ओसिमम बेसिलिकम है  ।यह पौधा भारत के अलावा भी अन्य देशो मे पाया जाता है । तुलसी के पौधों की मुख्यतः पॉच जातियॉ होती है ।पूजा वाली घरेलू तुलसी ' जगली तुलसी ' राम तुलसी ' जंगली तुलसी ' कपूर तुलसी ' काली तुलसी ' ।इन से जंगली तुलसी और काली तुलसी जिसे श्यामा तुलसी भी कहते है ' इनमे सबसे अधिक सुगंध होती है ।
वैसे तो सुगंधित पोधो का तेल निकालने के लिए जो बिधियॉ उपयोग मे लाई जाती है ।वे है जल  आसवन बिधि ' जल वाष्प  आसवन बिधि ' और वाष्प  आसवन बिधि ।लेकिन यह तीनों बिधियॉ बडे पेमाने पर सुगंधित पौधों से तेल निकालने के लिए उपयोग मे लाई जातीं है ।और  इनके आसवन संयत्र लगवाने का काम भी खरचीला होता है ।
छोटे पेमाने पर सुगंधित पौधों से एसेंस ' सेंट बनाने के लिए एक सबसे सरल बिधि उपयोग मे लाई जाती है ।इसमे गंध रहित  अल्कोहल का उपयोग किया जाता है।
इसमे सबसे पहले एक कॉच या प्लास्टिक के परदर्शी जार मे एल्कोहल भर कर  उसमे तुलसी के पौधो को डुबाकर भर कर  एक सप्ताह तक धूप मे रखने के बाद  एल्कोहल से तुलसी के पोधौ को निकाल कर  अलग करने पर के बाद  तुलसी की सुगंध तैयार हो जाती है । सात दिन मे सुगंधित पोधों की सुगंध  एल्कोहल मे बस जाती है ।  सुगंधित पौधों से सेंट बनाने के लिये गंध रहित  एल्कोहल के स्थान पर गंध रहित स्पीट भी उपयोग मे लाई जा सकती है । यह तैयार सेट  अगरबत्ती ' धूप बत्ती आदि सुगंधित वस्तुएं बनाने मे उपयोगी होता है ।
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सत्ता की स्कीम ।

मित्रो आज हम  आपको सत्ता के खेल की एक  एसी स्कीम बता रहे है ।जिसका कोई काट नही है ।एवं यह  एक कमाल की स्कीम है ।जो सत्ता मे जीत ही दिलाती है ।इस स्कीम से अच्छी और कोई स्कीम नही है ।आइए इसे हम  एक  उदाहरण से समझते है ।
उदाहरण के लिए _ जिस तरह से नदियों मे मछलियॉ पकडने के लिए महाजाल का उपयोग किया जाता है ।जिसमे नदी के एक किनारे से दूशरे किनारे तक बडा लंबा जाल लेकर नदियों के मुहाने से उदगम की ओर चलते जाते है ।इस तरह से पूरी नदी को खगाल कर नदी की सारी की सारी मछलियो को पकड लिया जाता है ।इस महाजाल मे फसने से कोई मछली बच नही सकती 'आखिर बच कर जाएगी कहॉ आज नही तो कल  उसे तो जाल मे फसना ही है ।
ठीक कुछ  एसी ही महाजाल की तरह है यह सत्ता खेल की स्कीम जो कुछ  इस प्रकार है _
 लक्की नं _ 786 के हर  अंक मे 111 +जोडने पर =897यह तीन  अंक बनते है ।इन तीनों अंकों पर कम से कम राशी लगाए । जैसे ₹5`₹5`₹5`अक ना लगने पर दुशरे टर्न मे फिर  इनही अको पर डवल राशी लगाए ' यानी ₹10`₹10`₹10 यदि फिर भी अंक न् लगे तो दूशरे दिन 897 मे 111 जोडकर नये लक्की नं बनाए ' और फिर राशी डवल करे याने ₹20`₹20`₹20 जब तक  अक न लगे तब तक हर दिन नये अंक बनाकर ' उन पर राशी डवल करते जाए ।जितने जादा टर्न के बाद  अंक लगेगा ।खिलाड़ी को उतना ही जादा फायदा होगा ।अंक लग जाने के बाद फिर कम राशी ₹5 [ अपने बजट के हिसाव से बढा भी सकते है]  से खेलना शुरू करे ।इस स्कीम से सत्ता खेल मे हमेशा लाभ ही होता है क्योंकि यह लक्की तीन  सौ मे से 54 जोडी को कवर करते है जिससे 54% चांस खिलाडी के पाले मे हर टर्न मे रहते है ।
स्कीम का प्रारूप !
पहल दिन ' पहला चक्कर तीन  अंक पर 5+5+5=15₹ लागत =45₹ आवक ।दुशरा चक्कर तीन  अंक पर 10+10+10+15=45₹लागत=90₹ आवक ।
दूशरा दिन 'पहला चककर 3अंक पर20+20+20+45=105₹ लागत=180 आ
दूशरा चक्कर तीन  अंक पर 40+40+40+105=225₹लागत=360₹ आवक ।

नोट _ यह स्कीम स्थानीय लोगों दुवारा मनोरंजन के तोर पर खेले जाने वाले एक खेल की है जिसे सत्ता कहा जाता है जिसका अर्थ सात होता है । इसलिए इसे अन्यथा नही लिया जाना  चाहिए । 
                                               लेखक

शुक्रवार, 9 सितंबर 2016

तिल की खेती ।

अन उपयोगी जमीन पर कुछ भी पैदा करना कठिन हैता है । एसी कंकड ' पत्थर वाली रितीली जमीनों पर तिल की खेती एक  अच्छा विकल्प है । काली तिल्ली जो एक तिलहन फसल है ।और यह बरसाती फसल है ।तिल की खेती मे लागत बहुत ही कम  आती है । क्योंकि तिल के बीज का आकर छोट होने के कारण एक  एकड खेत मे बोने के लिए लगभग 2kg बीज परर्याप्त होते है । तिल के बीज बोने का तरीका भी सरल है । तिल को हाथ से छिडकाव करके बोया जाता है ।
पहली बारिश के बाद जुलाई के पहले सप्ताह मे तिल की बोनी होती है । एवं सितंवर के महिने मे तिल की फसल पक कर तैयार हो जाती है । अन्य फसलों की तुलना मे तिल का भाव जादा होने से कृषक को अच्छा मुनाफा मिलता है ।
तिल का उपयोग _ सफेद तिल्ली के मुकाबले काला तिल मेहगा बिकता है ।इसका कारण यह है कि इसकी खेती कम पेमाने पर होती है ।और तिल का सबसे अधिक उपयोग हवन सामंग्री मे होता है 'इसलिए तिल की मॉग  अधिक होती है ।
आज के समय मे भारत मे इतनी अधिक  मात्रा मे यज्ञ हवन होते है जितने सायद ऋषि मुनियों के जमाने मे सत युग मे भी नही होते होगे ' और होना भी चाहिए हवन से वायू शुद्ध होती है ।पर हवन सामंग्री असली प्राकृतिक होना चाहिए ' न कि कृत्रिम एसेंसो से बनी हवन सामग्री इससे तो और प्रदूषण फैलता है और नकली हवन सामंग्री से हवन करने वाले को पुन्य की जगह  उलटा पाप लगता है ।खेर बात तिल की खेती की हो रही है । तो कुल मिलाकर तिल की खेती कम लागत मे अधिक मुनाफा देने वाली खेती है ।यदि यकीन ना हो तो कृषक भाई तिल की खेती एक बार कर के देखे ।
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